भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वसन्त का सौदा / दिनेश्वर प्रसाद
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:26, 20 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश्वर प्रसाद |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
वसन्त का सौदा
कितना महँगा है
पेड़ों के
सभी सूखे पत्तों के
सोने से
जंगल ने
इसको ख़रीदा है
(सोमवार, 26 मार्च 2007)