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मन मउरे मउहा महक मारे ना / निरुपमा शर्मा

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मन मउरे मउहा महक मारे ना।
सुरता के हिरना डहक मारे राजा महक मारे ना

दोनु आंखी मा तोला मैं काजर बनाएवं
नदिल गेंदवा मा रे पिरोहिल बैठारेंव ।
एक एक बोली मा चहक मारेव मैना ……..

लाली चूरी टिकली रे लाले हे महाउर
मोहनी आंखी के हे कटारी आमा मउर
हुलकथे जीउ अधिआये डारे मैना......

मति आये रेंगना मा मतहा मतागे
गदकथे मोंगरा मयारू ह मोहागे
रस मांगे मन कचुवाय डारे मैना ........

जिनगी हे खाल्हे उंच तरिया के पार
मरही उड़ेला ता ढहाही रे कगार
आवा जाही बेरा ला बुड़ोय दारे मैना ......