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छत्तीसगढ़ के छत्तीस मनखे / रमेश

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छत्तीसगढ़ के छत्तीस मनखे
जब हो गईन हुशियार
शोषण उत्पीड़न ला समझिन
सड़े मरे बार तैयार

डोकरा डोकरी अकाल में मरगे
बाकी बांचीन चौंतीस
चार झन बाहिर निकलगे
बाकी रही गिन तीस

काठा छावके रोगहा गौंटिया
जिंदगी भर भूती दिस
दस झन भूती कमात सिरागे
बाकी रहीगे बीस

बाढी छूटत चार झन मरगे
चार ला लेगे बघवा
चार ला चल परदेश कमाबो
कहिके लेगे ठगवा

तेरा साल के हीरौंदी मारगे
गौंटिया दूरा के कारण
फुलवासन ईंटा भट्ठी में रहिगे
हम्म्न कूछु नई जानन

सुकवारों कलकत्ता चल दिस
हेमिन हर बम्बई
दसरू रिक्शा तीरत मरगे
अईसे जालिम कमाई

हक के लड़ाई लड़ना ठानिन
बांचे हुए कुल तीन
दू झन पुलिस के गोली खागे
ध्यान लगाके गिन

एक मरहा खुरहा बांचगे
उठालिस छ्त्तीसगढ़ के झंडा
पुलिस बोला पकड़ के लेगे
वाकी वचगे अंडा

आओ रे छत्तीसगढ़िया आओ
ऐ बिजहा ला बचाओ
ये झण्डा मा हाथ लगाओ
छत्तीसगढ़ के राज बनाओ