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मृत / फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / चन्दन सिंह

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मैं एक ऐसी जगह मरना चाहता हूँ
जहाँ कोई इमाम न हो ।
मैं नहीं चाहता कि कोई देखे
कितने सुन्दर हैं मेरे पाँव ,मेरे बाल, मेरा सबकुछ ।

मृत्यु के नाम पर साफ़ और मुक्त ,
एक मछली अज्ञात समुद्रों में ।
क्या मैं मुस्लमान नहीं हूँ ?मैं हूँ !
लेकिन मैं कोई भीड़ नहीं चाहता ।

मेरे आसन्न अन्धेरे को मत परेशान करो
सफ़ेद चादरों में लपेट कर मुझे
और मेरे शरीर को अपने कन्धों पर मत हिलाओ
मेरे सारे अँग स्वप्न देख रहे हैं ।

कोई भी प्रार्थना नहीं पाट सकती
मेरे और विश्व की दूरी
मेरे शरीर को मत धोओ ! मत धोओ !
कि मैं पागलों की तरह प्यार करता हूँ अपनी ऊष्मा से ।

रूसी भाषा से अनुवाद : चन्दन सिंह