श्रोता / फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / चन्दन सिंह
मैं हलीम तृतीय हूँ, भव्य और पवित्र,
सुलतानों का सुल्तान,
मेरे सफ़ेद हाथों से शुरू होते हैं
मेरी प्रजा के दिन ।
वह क्षण जिसमें मैं खड़ा होता हूँ
अज्ञात कुँवारियों तक पहुँचा देता है मेरी ऊष्मा
मैं समय को अन्वेषित करता हूँ
स्वयं अपनी ही निरन्तरता में ।
मेरे शरीर में विस्तारित होते हैं
ब्रह्माण्ड के सारे आयाम,
और मेरे महल सहज हैं
सिर्फ़ मेरे शरीर के साथ ।
मैंने मुक्त कर दिया है, महान गिद्धों के साथ,
विज्ञान, कविता, और विजय को
आने वाली पीढ़ियों को सुखी बनाने
समुद्र और भूमि पर ।
आकाश मेरे सर के उपयुक्त है —
स्याह और नीला ।
मेरा प्रणय और रक्त, दो अनन्तताएँ,
एक दूसरे के बराबर हैं ।
अभिजात, सुन्दर, स्वस्थ और निरपेक्ष,
बुद्धि द्वारा सम्भव,
मैं हलीम तृतीय हूँ —
और तुम कौन हो ? ओ पहाड़ो और चट्टानो !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : चन्दन सिंह