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करमा गीत - 2 / पीसी लाल यादव
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कुहु-कुहु कोइली कुहके,
कुहु-कुहु कोइली कुहके,
महर-महर आमा मउरे
परसा फूल सेमरा झउरे
तितली भँवरा रस चुहके।
निहरे-निहरे मोटियारी मन
टोरे तेंदू-पाना।
गा-गा के गीत चेलिक
मारत हवँय ताना॥
कुहु-कुहु कोइली कुहके-
तक धिनाधिन धिन
छिड़कत हवय माँदर।
झूमर-झूमर करमा नाचे
एक मन के आगर
कुहु-कुहु कोइली कुहके-
जुड़-जुड़ पवन पुरवाही
होगे हे अब कुन-कुन।
मन भँवरा गिंजर-गिंजर
गावय गीत गुन-गुन॥
कुहु-कुहु कोइली कुहके-