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रूख झन काटो रे भाई / पीसी लाल यादव

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हो रूख झन काटो रे भाई
रूख ले बादर पानी, पवन पुरवाई

खेतखार मेड़ पार म सइगोना खम्हार।
बम्हरी रिंया कसही के, झूमे रे रवार॥

लीम के छईहां सुखदाई।
रूया ले बादर पानी, पवन पुरवाई।

कऊहा-मऊहा हर्रा बहेरा, साजा अउ सरई,
बर-पीपर आमा अमली, चिंहुके रे चिरई।

सरग ठऊर लगे अमराई
रूया ले बादर पानी, पवन पुरवाई।

बोईर बीही तेंदू-चार, सिरिज अउ गस्ती
धामिन-धवँरा, बांस भिरा, जिनगी के मस्ती

लिमऊ-संतरा के महमाई
रूया ले बादर पानी, पवन पुरवाई।

करंज-कर्रा, सलिहा-भोंदे, परसा-धनबहार।
कायत बेल कुसुम सीसम, जिनगी के सिंगार।

रोग-राई के सुग्घर दवाई
रूया ले बादर पानी, पवन पुरवाई।