भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कच्ची / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:05, 5 सितम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जय गोस्वामी |अनुवादक=रामशंकर द्व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कच्ची हो ! भले कच्ची हो मेरी रचना
मैंने शक्ति, उत्पल को नहीं पढ़ा ।
पढ़े नहीं जीवनानन्द,
रमेन्द्रमुमार ।
विनय मजूमदार,
भास्कर दत्त भी नहीं पढ़े ।
कच्ची हो ! भले कच्ची हो रचना।
इस बार मुँह उठाकर
कह सकता हूँ,
इतने दिन कुछ भी नहीं पढ़ा...
पढ़ता रहा हूँ सिर्फ़ तुम्हें —
जिसने सारे जीवन
एक लाइन भी
कविता नहीं लिखी ।
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी