भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तोहमत / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:02, 28 सितम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा 'बिन्दु'...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जो गिर गये उनको उठाना सीखिये
फ़र्ज अपने आप निभाना सीखिये।
अबला जो है घिर गई शैतानों से
आबरू उसकी बचाना सीखिये।
तोहमत दूजे पर लगाना छोड़ दो
रास्तों के काँटा हटाना सीखिये।
गमों में घबरा जाते अगर कोई
दिलों का ये दर्द घटाना सीखिये।
जो तड़प रहे बेइंतहा मुहब्बत में
उन रिश्तों को अपनाना सीखिये।
बढ़ा लिये हो क्यों दिल के फ़ासले
दर्द इन दिलों का मिटाना सीखिये।
मंजिल दूर है तो तुम क्यों डर गये
हौसलों से उसको पाना सीखिये।