Last modified on 4 अक्टूबर 2019, at 22:46

गीत बुने हैं हमने / सीमा अग्रवाल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:46, 4 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमा अग्रवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बारिश के धागों से
गीत बुने हैं हमने
नम तो होंगे ही

साँसों की बढ़ती
झुंझलाहट को जाँचा
थकी थकी पैड़ी की
आहट को बाँचा

बूँदों के मटकों पर
सूत मथे जीवन के
भीगे से सीले से
भ्रम तो होंगे ही

लहर लहर खंगाली
धारों को फटका
रेतीली चादर का
तार तार झटका

पल पल को भटकाया
है उजड़े द्वीपों पर
शब्दों में गीले
मौसम तो होंगे ही