Last modified on 20 अगस्त 2008, at 08:21

गति / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:21, 20 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुल कीर्ति |संग्रह = ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति }} <poem> स...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सितारे गतिमान , ध्रुव तारा अचल क्यो?
ध्रुव तारा तेजमान , अन्य तारे मंद क्यो?
अचलता तेजोमय है , गति तेज क्षय करती है?
तभी तो दिवाकर के चहुँ ओर पृथ्वी घूम -घूम रोती है.
किंतु
गति में ही जीवन जानता संसार है.
जन्म गति है या मृत्यु ?
मृत्यु गतिहीन है या जन्म ?
हुई मुझे शंका या भ्रम,
सोचा यही, सूने में विचारा यह प्रश्न
उत्तर मिला है.
कहीं गति जीवन है और कहीं मरण.