सेतु बनाकर अपने दिल से,उसके दिल को जोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से तोड़ लिया।
आओ खुशियों साथ निभाओ
और सदा ही संग रहो !
आँगन मेरे महको बेला
लगकर मेरे अंग रहो !
सच कहता हूँ मैंने मुँह को,अवसादों से मोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से मोड़ लिया।
सरसों के पीले फूलों सा
झूमे औ' मुस्काये मन !
पछुवाई भी भंग पिलाये
खूब हँसे बौराये मन !
रंग गुलाबी घोला मैंने अपने ऊपर छोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से तोड़ लिया।
आऊँ जाऊँ अंदर बाहर
ठुमक ठुमककर नाचू मैं !
और सुखों की इक - इक चिट्ठी
अन्तर्मन में बाँचू मैं !
देख दुखों ने अपना सर औ' अपना माथा फोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से तोड़ लिया।