मेरे अंगने के बिरबे / उर्मिल सत्यभूषण
मेरे अंगने के बिरवे।
तेरी ठंडी ठंडी छांह रे
मेरा जलता है तन-मन
तू ही दीजो पनाह रे
पेड़ पे बैठे कागा
मेरे पीहर जा रे
पीर मन मेरे की
बाबुल को बता रे
उसको रो रो के कहना
बाबुल जल्दी आ रे
बेटी तेरी, कसाई
रोज करते जिबह रे
ओ शाख की चिड़िया।
मैके उड़के जा रे
उसकी लाड़ों के दुखड़े
मेरी माँ को सुना रे
मेरी अम्मा को कहना
बेटी, जल्दी बुला रे
नहीं तो ये हत्यारे
देंगे उसको जला रे
मेरे बिरवे के तोते
तू भी उड़ता जा रे
उड़ता उड़ता जा तू
मेरा वीर बुला रे
मेरे वीर से कहना
बहना जल्दी लिवा रे
नित नित के क्लेशों
से अपनी बहनी बचा रे।
ओरी पिंजरे की मैंना
तुझको दूँगी उड़ा रे
मेरी सखी सहेली
मेरी भाभी बुला रे
जाके रोना बिलखना
ननदी बहु दुःख पाये
बन गई पिंजरे की मैंना
उसको आ के छुड़ा रे
ओ कागा, रे तोते
मैंना, चिड़िया रे
मेरे पीहर जा के
मेरे जख़्म दिखा रे
मेरी सखियों को कहना
जल्दी करें न ब्याह रे।
लतरें बनके न पकड़े
अब विरबों की बांह रे।