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नज़दीक वो आ गया है / उर्मिल सत्यभूषण
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खुद खुद से मिलना जरूरी हुआ है
मेरे दर्द की यही इक दवा है
तू मुझको मुझसे मिला दे, दुआ है
दर्पण दिखा दे, यही इल्तज़ा है।
रिश्तों को जीना है जिसने सिखाया
सीखा है उससे ही, जीना कला है
सम्मान अपना जो करने लगे हम
गै़रों ने बढ़कर आदर दिया है
सागर किनारे रहे लहरें गिनते
मंथन किया तब ही मोती मिला है
खुद से हुये रूबरू जो गा है
हमने खुदी में खुदा पा लिया है
बहुत दूर लगता रह था जो हमसे
हैरां हूँ नजदीक वो आ गया है।