भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पी पी रटन लगा रखी है / उर्मिल सत्यभूषण
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:54, 22 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिल सत्यभूषण |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पी पी रटन लगा रखी है
दिल में अगन जला रखी है
मस्त मलंगों की बस्ती में
धूनि एक रमा रखी है
अपने अपने दिल की कह लो
देखो बज़्म सजा रखी है
आयेंगे कब राम हमारे
कब से आस लगा रखी है
जो प्यासे हैं उनकी ख़ातिर
उर्मिल धार बहा रखी है।