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मीत मेरे यूं दुःखी मत होइये / उर्मिल सत्यभूषण

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मीत मेरे यूं दुःखी मत होइये
आंसुओं से मुँह ने अपना धोईये

आपकी अपनी व्यथा सबकी व्यथा
फिर अकेले इस तरह न रोईये

पांव छलनी हो न जाये अपके
इस तरह मत होश अपने खोईये

वक़्त आने पर वो देंगे कुछ तो फल
बीज कुछ संवेदना के बोईये

कालिमा में ही उगेगी रोशनी
ओढ़ कर उर्मिल व्यथा मत सोईये।