भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रंगीं नजरों का नगर / उर्मिल सत्यभूषण

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:36, 23 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिल सत्यभूषण |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रंगीं नजरों का नगर
वो सब्ज बाग़ों का नगर

शीतल हवाओं का नगर
रिमझिम फुहारों का नगर

सबको निमंत्रण दे रहा
नित नित बहारों का नगर

पेड़ों के घूँघट से सजी
दुल्हन सी सड़कों का नगर

सरसब्ज वादी में पल रहा
कुदरत के खाबों का नगर

है खुशगवार आबो हवा
यह है रोमाँसों का नगर

इकसार मौसम की तरह
यह सरल लोगों का नगर

फूलों फूलों और सब्ज़ा, के
अक्षय भंडारों का नगर

बाज़ार में नित रौनके़
यह चहल-पहलों का नगर

यह हर दिशा में बढ़ रहा
फैले उद्योगों का नगर

है ज्ञान, धन की देवियाँ
उनकी कृपाओं का नगर

यह धर्म, दर्शन, आस्था
अदबों कलाओं का नगर

बंगलौर उर्मिल को लगा
निश्चित बहिश्तों का नगर।