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अग्निपथ को चुनना होगा / उर्मिल सत्यभूषण

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अग्निपथ को चुनना होगा
जलना है तो जलना होगा

भावों के हिमशिखरों को अब
शब्द शब्द बन गलना होगा

फूटी तकदीरों को फिर से
नई कलम से लिखना होगा

बहुत पराजय सही है हमने
अब जयपथ पर चलना होगा

शोभा देती किसे गुलामी
पिंजर तोड़ निकलना होगा

प्रण से पंखों में ताकतभर
पंछी, तुमको उड़ना होगा

ओ अन्वेषी। चुनी राह पर
निर्भय होकर चलना होगा

चट्टानों को चूर-चूर कर
तुझको आगे बढ़ना होगा

कायर मत बन, उर्मिल तुम को
कदम कदम पर लड़ना होगा।