भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राग रस जीवन / प्रेमलता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:40, 30 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राग रस जीवन का अनुभाव।
बहे वह हर अंतस में स्राव।

लाज पट नयनों के श्रंृगार,
रीत जो माने मन के भाव।

खोल बंधन उर के अब द्वार,
प्रणय पथ रोके सब भटकाव।

कहीं जब ममता बनती प्रीति,
तनय सुख सरस बनी वह नाव।

बहन की राखी रोली राग,
वलय बन दूर करे अलगाव।

मिटा संताप हृदय को हार,
प्रीत गति देती है अटकाव।