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स्त्री शक्ति / बीना रानी गुप्ता

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मैं दुनिया की आधी आबादी
चीर रही नभ का सीना
मंगलग्रह पर दौड़ लगा दी
सीमाओं पर करूँ चौकसी
पहनूं कमांडो की पोशाक निराली
रक्षा मंत्री बनी देश की
करूँ देश की रखवाली

रच रही नया इतिहास
कर रही नित नव अनुसंधान
कोई ऐसा क्षेत्र नही शेष
जहाँ न हो मेरे निशान

नाप ली पर्वतों की ऊँचाई
ओलम्पिक खेलों में खेली
स्वर्ण पदक जीतकर मैंने
अपने देश की लाज बचाली

कोर्ट कचहरी से नही भय
करूँ न्याय होकर निर्भय
सुप्रीम कोर्ट की बनी चीफ जज
करूँ संविधान की रक्षा
करती सबके साथ न्याय
देनी पड़ती रोज परीक्षा।

स्त्री का मान मर्दन
अब मुझे नहीं सह्य
गैंगरैप के अमानुषों को
ऐसी सजा मिलेगी
माँगेगे वो प्राण भिक्षा
क्रूर कृत्य का मूल्य
अब चूकाना होगा
नया कानून बनाऊँगी मैं
करूँगी संविधान में परिवर्तन
मैं शक्ति हूँ दुर्गा हूँ
महिषासुरों के प्राण हरूँगी
मैं सृष्टि का आधार हूँ
सदा रहूँगी।