समुद्र किनारे घर / डोरिस कारेवा / अनिल जनविजय
समुद्र किनारे बना घर
हमेशा
उस जहाज़ की तरह लगता है
अभी-अभी आया है जो बन्दरगाह पर ।
हर रात वो भटकता है
अन्तहीन महासागरों में
युगों में, विस्तारों में ।
उसके चारों ओर बहते हैं सितारे
उसके दिल में अलाव रोता है
जिसे कोई नहीं जलाता ।
जैसे कुत्ता अपने मालिक के लिए तरसता है
वैसे ही समुद्र किनारे बना घर
अपने कप्तान का इन्तज़ार करता है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
Doris Kareva
A seaside house
A seaside house
always feels like it is a ship,
just landed.
Every night it goes wandering
across endless oceans,
eras, expanses.
Around it drift the stars,
in its heart weeps the hearth,
that no one kindles.
As a dog yearns for his master,
so a house by the sea
waits for its captain.
Translated by Tiina Aleman