Last modified on 18 नवम्बर 2019, at 07:30

हारना नहीं / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:30, 18 नवम्बर 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हारना नहीं
ये हसीन ज़िन्दगी,
स्वार्थी के लिए
कभी वारना नहीं।
नहीं जानते-
है तुझमें उजाला
हर पोर में
भरा सिन्धु बावरा।
डूबने देना,
जो हैं छल से भरे,
दिखाते दया
उन्हें तारना नहीं।
हारोगे तुम,
हम हार जाएँगे
यूँ कभी नहीं
उस पार जाएँगे।
काम बहुत
अभी करने हमें
घाव बहुत
रोज़ भरने हमें
नम हों आँखें
उड़ते ही जाना है
मिलके चलें
भले राहें कँटीली,
और हठीली
कठिन है डगर
आओ बसाएँ
उजियारों से भर
इक नया नगर।

-०-