अच्छे-अच्छे गीत बिचारे, 
बेच रहे हैं बेर। 
बचपन से 'कम्पोस्ट' डालकर, 
बड़े किए. 
मालिश कर ख़ुद के पैरों पर, 
खड़े किए. 
'बोन चाइना' ने मिट्टी की, 
करी क्वालिटी ढेर। 
भेड़-बकरियों की नगरी में, 
ज़ातों में, 
ही-ही, हा-हा चलता रहता, 
बातों में, 
कउए कोयल पर करते हैं, 
हँसी-हँसी में छेर। 
क्रीम, पाउडर, तेल लगा ठग, 
मिलता है। 
गंजों के सिर पर विग कितना, 
खिलता है। 
जड़ें जमाता घूम रहा है, 
मिट्टी में अंधेर।