भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहाँ-कहाँ बैठूँ / राजकिशोर सिंह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:06, 7 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकिशोर सिंह |अनुवादक= |संग्रह=श...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहीं
जाने के इंतजार में
ऽड़ी थी
एक लड़की
और
एक वृ( नारी
अचानक
वहीं आ गयी
एक गाड़ी
बैठने गयी
दोनों
गाड़ी के अंदर
देऽा वहाँ
भीड़ का समन्दर
बुढ़िया ने कहा
मैं कहाँ बैठूँ ?
लड़की ने कहा
मैं कहाँ-कहाँ बैठूँ?