ऽेतों से, उपजाते हैं किसान
गेहूँ, मक्का और धन
और उपजाते हैं
मवेशियों के लिए घास
घासों को बाँध्ने के लिए कपास
अगर लोगों के मन में
आ जाए विचार गंदा
घास बांँध्ने के बजाय
रस्सी को बना लें पफांसी का पफंदा
तो छटपटाकर प्राण क्या करेंगे
रस्सी बनाने वाले किसान क्या करेंगे
लोहार लोहे को आग में तपाता
स्वयं को भी तपाता
आग में तपाकर बनाता
हंसुआ ऽुरपी और छुरी
इसके बदले उसे मिलती है
थोड़ी सी मजदूरी
छुरी आती है काम
काटने किसी चीज को
अगर यह काट दे
गर्दन किसी निज की
तो रब से गुहार क्या करोगे
छुरी बनाने वाले लुहार
बताओ तुम क्या करोगे
समाज से निकलता है
सामाजिक कार्यकर्ता
समाज में करने काम
देश का करने नाम
बाद में ये बनते हैं राजनेता
लेने को मान
करने को पहचान
लोग कहते हैं
ये नेता नहीं भगवान है
देश के प्राण हैं
करेंगे समाज का उ(ार
लेकिन करने लगते हैं
राष्ट्र का संहार
तो समाज क्या करेगा
बताओ राष्ट्र क्या करेगा
मैं चुनता हूँ नेता
बनाने के लिए सरकार
जब वे बैठते हैं कुर्सी पर
तो बन जाते हैं
किसी ऽास जाति के सरदार
करते हैं अपनी जाति का पक्षपात
नहीं करते न्याय की बात
तो बताओ
अब मैं क्या करुँगा
देश क्या करेगा
राष्ट्र क्या करेगा।