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मन करता है / कीर्ति चौधरी

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झर जाते हैं शब्द हृदय में

पंखुरियों-से

उन्हें समेटूँ,तुमको दे दूँ

मन करता है


गहरे नीले नर्म गुलाबी

पीले सुर्ख लाल

कितने ही रंग हृदय में

झलक रहे हैं


उन्हें सजाकर तुम्हें दिखाऊँ

मन करता है


खुशबू की लहरें उठती हैं

जल तरंग-सी

बजती है रागिनी हृदय में

उसे सुनूँ मैं साथ तुम्हारे

मन करता है


कितनी बातें

कितनी यादें भाव-भरी

होंठों तक आतीं

झर जाते हैं शब्द

हृदय में पंखुरियों-से

उन्हें समेटूँ,तुमको देदूँ

मन करता है।