भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार की बातें / कीर्ति चौधरी

Kavita Kosh से
Lina jain (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 00:16, 26 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कीर्ति चौधरी }} आअो करें प्यार की बातें दिल जैसे घबरात...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आअो करें प्यार की बातें

दिल जैसे घबराता है

कैसे-कैसे संशय उठते

क्या-क्या मन में आता है


छूट न जाए साथ

जतन से जिसको हमने जोड़ा था

पाने को सान्निध्य तुम्हारा

क्या-क्या छोड़ा-जोड़ा था


समय हमारे बीच बैठकर

टाँक गया कहनी-अनकहनी

भूलें की थी,दर्प किया था

चोटें की थी अौर सहा था


आअो उसे मिटाएँ

फिर से लिखें कहानी

उन यादों की

भूली-बिसरी बातें

मेरी अौर तुम्हारी

जिनसे शुरु किया था जीवन

फिर दुहराएँ


आअो करें प्यार की बातें ।