Last modified on 17 दिसम्बर 2019, at 22:47

अनुराग-बैराग / लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:47, 17 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लता सिन्हा 'ज्योतिर्मय' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हृदय के कोमल कोपल की
खिली पंखु़िड़यां प्रीत पुष्पित
मन स्नेह शील संयम संचति
अनुराग विशेष स्व-आत्महित...

प्रेम पुष्प निज गंध संग
पर अनुरागी अलि प्रीत रंग
आलिंगन अधरों का चुंबन
मनुहार, गूढ़-रहस्य दर्शन...

संपूर्ण सृजन सृष्टिगत क्रम
लौकिक प्रेम परिपूर्ण समर्पण
किंचित रीत, प्रणय बंधन
दैनिक व दैहिक आकर्षण....

यदि प्रीत रहे वंचित बंधन
न प्रेमाधार कथित यौवन
तभी पार्थिवता से परे दिखे
अद्भुत ’’अद्वैत-आत्म-संगम‘‘...
मन शांत प्रीत ज्योतिर्मय संग...