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चल के प्रीत करें / दीनानाथ सुमित्र

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प्रीत बिना सब सूना
चल के प्रीत करें
दुश्मन कोई दिखे नहीं
हम मीत करें
 
जीवन दो दिन का है
इतना याद रहे
सिर्फ नेह के लिए
सदा फरियाद रहे
कभी न हारे हम
हर पल की जीत करें
प्रीत बिना सब सूना
चल के प्रीत करें
दुश्मन कोई दिखे नहीं
हम मीत करें
 
 
सावन के मौसम में
भीगें जी भर के
रहें घाट के नहीं
रहें अपने घर के
जीवन के हर पहलू को
नवनीत करें
प्रीत बिना सब सूना
चल के प्रीत करें
दुश्मन कोई दिखे नहीं
हम मीत करें
 
जीने आये हैं
मरने का नाम न लें
कभी घृणा से करने वाला
काम न लें
घृणा ज्वाल को जैसे भी
हो शीत करें
प्रीत बिना सब सूना
चल के प्रीत करें
दुश्मन कोई दिखे नहीं
हम मीत करें