नहीं किसी से नफरत मेरी / दीनानाथ सुमित्र

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नहीं किसी से नफरत मेरी
हिंदू हो या मुसलमान हो
मानवता से करता हूँ मैं प्यार
 
आग लगाने वालो तुम बादल बन जाओ
बिंदिया बन जाओ या तुम काजल बन जाओ
माँग रहा है तुम से यह संसार
मानवता से करता हूँ मैं प्यार
 
भूख अगर है लड़ो सिर्फ भोजन की खातिर
लड़ना है तो लड़ो करुण रोदन की खातिर
इक दूजे पर कर दो बंद प्रहार
मानवता से करता हूँ मैं प्यार
 
मानव हो मानवता को तुम जीवन दे दो
सच्चाई से सच्चाई को तन-मन दे दो
औरों से भी हो मीठा व्यवहार
मानवता से करता हूँ मैं प्यार

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