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नया मौसम आ रहा है / दीनानाथ सुमित्र

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दूर थे दुख बरसता था
पास हो, सुख छा रहा है
नया मौसम आ रहा है
 
डाल पर कचनार फूलेेगा
बयारों के साथ झूलेगा
बड़ा ही दिलफेंक होगा वह
किसी के भी प्राण छू लेगा
आज दिल जो गा रहा है
पास हो, सुख छा रहा है
नया मौसम आ रहा है
 
जिंदगी के पंथ पर हम
चलेंगे हम कभी क्यों कम
लक्ष्य अपना है बुलाता
अब न पायेंगे कभी गम
दुख हमारा जा रहा है
पास हो, सुख छा रहा है
नया मौसम आ रहा है
 
प्रेम का अस्तित्व तुमसे
छू रहा तुमको नयन से
बस तुम्हारा साथ पाकर
प्राण! मेरे प्राण हरसे
मुझे सबकुछ भा रहा है
पास हो, सुख छा रहा है
नया मौसम आ रहा है