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मोती तो गहराई में है / हरि फ़ैज़ाबादी

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मोती तो गहराई में है
तुलसी की चौपाई में है

ज़रा सँभलकर हाथ मिलाना
पैर कँवल का काई में है

किस पर करें यक़ीन आजकल
हर कोई चतुराई में है

सच्चाई से सुख से जीना
मुश्किल इस मँहगाई में है

नींद मुझे आ जाये कैसे
ख़्वाब मेरा कठिनाई में है

लगभग रिश्तेदारी-सा अब
रिश्ता भाई-भाई में है

लफ़्ज़ों में कह पाना मुश्किल
कितना दर्द जुदाई में है