Last modified on 25 दिसम्बर 2019, at 21:35

तुमको मेरी चाह नहीं / हरि फ़ैज़ाबादी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:35, 25 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि फ़ैज़ाबादी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुमको मेरी चाह नहीं
तो क्या कहीं पनाह नहीं

किस पुस्तक में लिक्खा है
मुफ़लिस का अल्लाह नहीं

वक़्त सिखाता सिर्फ़ सबक़
देता कभी सलाह नहीं

उतरे पानी में क्यों जब
गहराई की थाह नहीं

परेशान हो सकता है
सच्चा कभी तबाह नहीं

कुर्सी औरों को दो जब
दे सकते तनख़्वाह नहीं

करना ही है असर उसे
बेजा जाती आह नहीं

भटका शायद मैं ही था
मुश्किल कोई राह नहीं