बेटी सुन्दर नहीं बनेगी
केवल पढ़कर नहीं बनेगी
लम्हों में मुद्दत की बिगड़ी
दुनिया बेहतर नहीं बनेगी
शायद सीधी उँगली से अब
बात कहीं पर नहीं बनेगी
साथ निभाना अलग बात है
सड़क-गली घर नहीं बनेगी
बादल चाहे जितना बरसें
नदी समन्दर नहीं बनेगी
बेटी सुन्दर नहीं बनेगी
केवल पढ़कर नहीं बनेगी
लम्हों में मुद्दत की बिगड़ी
दुनिया बेहतर नहीं बनेगी
शायद सीधी उँगली से अब
बात कहीं पर नहीं बनेगी
साथ निभाना अलग बात है
सड़क-गली घर नहीं बनेगी
बादल चाहे जितना बरसें
नदी समन्दर नहीं बनेगी