घर में सब सामान हो गया / हरि फ़ैज़ाबादी

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घर में सब सामान हो गया
तो क्या सब आसान हो गया

चारों धाम बचे तो कैसे
पूरा हर अरमान हो गया

पेड़ कटा है चबूतरे का
आँगन क्यों वीरान हो गया

मेरी मेहनत गयी नशे में
आज दान नुक़सान हो गया

चावल कितना महकेगा जब
एक माह में धान हो गया

नादानी की और किसी ने
दिल मेरा नादान हो गया

आख़िर किसने कहा आपसे
वापस मेरा बान हो गया

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