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दर्पण छवि तोहार कन्हैया / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’

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दर्पण छवि तोहार कन्हैया ,
दर्पण छवि तोहार।
वंशी धुन मधुर लगे कर्ण प्रिय,
सुनूँ बारम्बार।

नैन थके नहीं देखि तोहे,
प्यास बढ़े दिन-रात।
विनय सुनो मोहे मुरारी!
कर दो मेरा श्रृंगार ।
कन्हैया कर दो मेरा श्रृंगार ।

ज्यों जानती मैं वशीकरण,
देती तुझ पे जादू डाल।
हर पल अपने पास बैठा
पूछती दिल का हाल ।
कन्हैया पूछती दिल का हाल।

रक्तिम सिंदूर भर माँग में,
माथ पर बिन्दी सजा।
मोतियन हार गले पहना ,
और उलझे केश सँवार।
कन्हैया उलझे केश सँवार।