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फिसीर फिसीर बरसय न बादर / सुरेन्द्र प्रसाद 'तरुण'
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फिसीर फिसीर बरसय न बादर
फिसीर फिसीर बरसय न रे ।
धरती सुखल हरनी के मातल
सामन खातिर नयना पागल
लोर-कोर मे धधक रहल हे ।
फिसीर फिसीर बरसय न बादर
फिसीर फिसीर बरसय न रे ।
झुलस रहल कविता के क्यारी
लाज बसन खो रहल कुँवारी
कहूँ न जीवन कहूँ न यौवन
फिसीर फिसीर बरसय न बादर
फिसीर फिसीर बरसय न रे ।
सच मे हाहाकार मचल हे
दुःख मे बंदनवार सजल हे
कंठ-कंठ तरसल आउ प्यासल
फिसीर फिसीर बरसय न बादर
फिसीर फिसीर बरसय न रे ।
तूँ बरसय तो जमुना उमड़े
बजय बाँसुरी करुणा घुमड़े
राधा के पायलिया तातल
फिसीर फिसीर बरसय न बादर
फिसीर फिसीर बरसय न रे ।