हमर ग्राम / दयानन्द प्रसाद
नदिया के पार किनारे मे बनल
शिवाला मे नवल बाबा से जरूर मिलिहऽ
ऊ तोहर जिनगी के सब कुछ बता देथुन ।
तनि आगे बढबऽ मौलिसरी के गाछ के नीचे
पक्का चबूतरा पर साँझ के जब सूरज अपन
आँख मून ले हे
हारो चाचा के फूलबरिया मे ठहर जइहऽ
ऊहाँ भिखारी चाचा कथा-कहानी सुनयथून
उहें चबूतरा पर रामू के बेटी के बिआह
दीना पंडित के मेहरारू के बीमारी के उपाय
आउरो बात बताल जा हे
गाम के पच्छिम छोर पर
मोतिया रविदास से जरूर मिलिहऽ
कबीर के भजन जरूर सुनइतो
माया मोह से दूर रहे के उपाय बतइतो ।
आगे बढ़वा तो पीर बाबा के कबर हो
उहाँ उस्मान मियाँ से मिल लिहऽ
उनखर सेबइया आउ मोहर्रम के खिचड़ी
पूरे गाम मे बटें हे
गाम मे होली, ईद आउ दशहरा
मिलजुल के मनबल जा हे
मोहर्रम के तजिया पूरा गाम मे घूमऽ हे
इहे हो हमर गाम
हिये हमर बचपन बीतल, जबानी चढ़ल
आउ बुढ़ापा धीरे-धीरे पैर बढ़ा रहल हे ।