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गेल भेल के चिंता कइसन / मुनेश्वर ‘शमन’
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भुला गेला में ही अच्छा हे।
बीतल बतिया, बितल दिन।।
गुजरल दिन के मीठ इयाद,
रह-रह दिल में गुदगुदी बरावे।
मुदा इयाद अइसन भी कत्ते,
सुलग-सुलग जे जिया जरवे।
जुगुत-जतन से दफन इयाद तो ,
बिरले ही होवय मुमकिन।।
काल के पहिया घुमय भइया-
धूप-छाँह जा हे आवे हे।
बखत के हेराफेरी के फल-
रोवे कोय, कोय गावे हे।
ऐसन हियाँ कउन कि जेकर,
कटल उमरिया सुख-दु:ख बिन।।
गेल-भेल के चिंता कइसन –
नाहक मथइत रहय ई मन के।
ई तो निठुर जान के गाहक-
सोच-फिकिर हे घुन जीवन के।
भला-बुरा, मउसम में मनुआ-
जीले हँस-हँस हर पल-छिन।।