भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खूददे में खो गेलय / मुनेश्वर ‘शमन’

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:00, 27 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुनेश्वर 'शमन' |अनुवादक= |संग्रह=सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खुद्दे में खो गेलय अदमियन।
दरद कते बो गेलय अदमियन।।

नया जमाना के रिवाज में।
की से की हो गेलय अदमियन।
 
रंग भेलय रिस्ता के फीका।
कुछ अइसे धो गेलय अदमियन।।

पता नञ कि कहिया तक भटकय।
जंगल में जो गेलय अदमियन।।

अइना में अदमियत के संतो।
लख चेहरा, रो गेलय अदिमयन।।