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बचपन की यादें / शीला तिवारी

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बचपन की यादें हर पल सुहानी
जीवन भर भूली न जाने वाली कहानी
बचपन शरारत का है एक पिटारा
उछल कूद मस्ती में बीतता दिन सारा
रहती न फ़िकर, न अपना-पराया
सारा जग अपना, हर खेल था निराला
बचपन की यादें हर पल सुहानी।
दादी-दादा के संग गुजरा वो ज़माना
दादी चश्में से दिखाती गुस्सा निराला
दादा के प्यार में छुपा खुशियों का खजाना
सुनाते रमायण, महाभारत का किस्सा पुराना
बचपन की यादें हर पल सुहानी।
सो जाते सुन कर चुपचाप नानी की कहानी
प्यार भरी थपकी के सपने लुभावनी
खाते रेवड़ी व मिठाई, मलाई व रसगुल्ले
खुशियों का नग़मा बचपन गुनगुनाए
बचपन की यादें हर पल सुहानी।
गिल्ली डंडा से खेलना, पतंगों का उड़ाना
आम की डाली पर झूलना, सरसों के फूलों में घूमना
धान के हरे-हरे खेतों सा लहलहाना
दौड़ते सुंदर पगडंडियों को रौंदना
 बचपन की यादें हर पल सुहानी।
दोस्तों के संग यारी जम कर निभाई
करते कभी लड़ाई खूब डट भाई
पल भर में रूठते, पल में मान जाते
हँसता चेहरा ही था बचपन की मिठाई
बचपन की यादें हर पल सुहानी।