मेरा दिल अब भी ख़ूबसूरत है
बस थोड़े प्यार की ज़रूरत है
यही तो बात है इश्क़ में हुज़ूर
ख़ुदा बन जाये मामूली सूरत है
तख़्त-ओ-ताज के भी मायने कहाँ
सोचिये हुश्न की क्या सीरत है
दिल के आईने की भी क्या बात
कोई चेहरा किसी को मूरत है
दिल की दुनिया अजीब है यारों
ख़ूबसूरत होता कभी बदसूरत है
प्यार की क्या कोई घड़ी ‘अनुपम’
जब भी शुरू हो अच्छा महूरत है