भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जुड़वा भाई / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:40, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धन्नु मन्नू जुड़वाँ भाई,
मिलती-जुलती सूरत पाई।
बिना दाँत के हँसते ही-ही,
जैसे कोई बुढ़िया माई।
एक खिलोना रखो बीच में,
फिर देखो तुम हाथापाई।
इन्हें लिए रहते गोदी में,
चाचा-चाची, ताऊ ताई।