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वर्ष - गीत / बालस्वरूप राही

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बर्फ बिछाती हुई राह में में सर्द जनवरी आती है,
फिर बुहार कर बर्फ फरवरी सुंदर फूल बिछाती है।

होली की रंगीन फुहारें मार्च साथ ले आते है,
फिर आ कर अप्रैल सभी को 'एप्रिल फूल' बनाता है।

आती है जब मई, पसीने में सब हो जाते है तर,
जून अंगीठी ले कर आता, ताप जाते है गाँव, नगर।

तपन बुझती हुई जुलाई ले कर आती है बादल,
मशक लिए आता अगस्त है खूब छिड़कता रहता जल।

हल्का- हल्का जाड़ा ले कर सुखद सितंबर आता है,
अक्तूबर में हल्का- फुल्का छोटा स्वेटर भाता है।

आ कर तभी नवम्बर हम को सावधान कर जाता है-
जल्दी करो, लिहाफ निकालो, सुनो, दिसम्बर आता है!