भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वहम / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:24, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
चले पाठशाला पप्पू जी,
काट गई बिल्ली रस्ता,
पप्पू जी ने घर में लाकर
पटक दिया अपना बस्ता।
पापा ने डाँटा, मम्मी ने-
बड़े प्यार से समझाया,
घबराहट में पप्पू जी को
कुछ भी समझ नहीं आया।
दीदी बोली- ‘पप्पू भैया ,
वहम किसलिए करते हो,
होकर बब्बर शेर जरा-सी
पुसी से क्यों डरते हो?’
जोश आ गया पप्पू जी को,
निकल पड़े घर से बाहर,
चले लेफ्ट-राइट -सी करते
जैसे कोई नर-नाहर !