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सुबह उठा सूरज / ऋतु त्यागी

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सुबह उठा सूरज
और पकड़ बैठा आकाश की धोती का छोर
आकाश ने बाल सूरज के सिर को थपथपाया
मुलायम इशारे से पास बुलाया
सूरज भागा-भागा आया
साथी किरणों को भी खींच लाया
आकाश ने दोनों को अपनी गोद में उठाया
आकाश पर अब सूरज का डेरा था।
फिर चमचम करती दोपहर आयी
सूरज और दोपहर जमकर खेले
आकाश जलता रहा दिनभर
तपन धरती पर भी रही।
दूर खड़ी शाम पेड़ों की ओट से देख रही थी ये दृश्य
सूरज और दोपहर की धमाचौकड़ी के बीच
शाम चुपके से आकाश के आँगन में उतर आयी थी
पर आते-आते वह जलते आकाश के लिये
अपना सुरमई दुपट्टा उठा लाना न भूली थी।