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ऊँची मुँडेर पर / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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1
बजा माँदल
घाटियों में उतरे
मेघ चंचल
2
चढ़ी उचक
ऊँची मुँडेर पर
साँझ की धूप
3
नन्हा सूरज
भोर ताल में कूदे
खूब नहाए
4
लहरें झूला
खिल-खिल करता
चाँद झूलता
5
शोख़ तितली
खूब खेलती खो-खो
फूलों के संग
6
सिहरा ताल
लिपटी थी धुंध की
शीतल शॉल