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तेरि तसवीर देखि क / ओम बधानी
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तेरि तसवीर देखि क
चित बुझौणु छौं,यै मन पुळयौणु छौं
यनि दिन कटेणा छन,रात बितौणू छौं
तबारि सैंदिस्ठ एै जांदि,तबारि मूरत ह्वै जांदि
घड़ेक रंगस्याळ्यै,तड़पांदि तरसांदि
गाण्योैं क रथ परैं अचक्याल उडणू छौं
तेरू मुल हैंसणु मेरि हैंसि खंगाळि लीगे
सुख चैन सोरि मेटि समाळि लीगे
तेरि माया क तलौ म गैरा-गैरा डुबणु छौं
मांगळ ,बाजा सुणेणा, पकोड़ा पकद् दिखेणा छन
सौ सिंगार म तु,मेरा भि सूट बूट अड़्यां छन
सुपन्यौं क तड़ोटु म अचक्याल रूझणू छौं
घंगतोळ क जाळा अळझाणा छिन
जनि दिखेणी छई वनि होलि भि,कि न
कभि उलार्यूं भौत,कभि डरणू छौं