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दुकस्ठी / ओम बधानी
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छि भै तेरी कनी य दुकस्ठी करीं छ
माया त तातू दूध हुयीं छ
भुलि जाणु औख्खु नि बिसरूं त मुसकिल
जिकुड़ी कु मेरी उदकट्ट हुयीं छ
माछि कु पाणी तु मेरू पराण
त्वै बिन बोळा सि सुन्नपट्ट हुयीं छ
तु बैठि छै सोचणी कुजाण क्य गुमसुम
मैं लाटा तैं मिलण कि झटपट हुयीं छ
आंदन उड़ि जांदन बादळ ठगैक
मै पापी कि तीसन् फटफट हुयीं छ