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धोखे में डाल सकते हैं / नागार्जुन

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हम कुछ नहीं हैं

कुछ नहीं हैं हम

हाँ, हम ढोंगी हैं प्रथम श्रेणी के

आत्मवंचक... पर-प्रतारक... बगुला-धर्मी

यानी धोखेबाज़

जी हाँ, हम धोखेबाज़ हैं

जी हाँ, हम ठग हैं... झुट्ठे हैं

न अहिंसा में हमारा विश्वास है

मन, वचन, कर्म... हमारा कुछ भी स्वच्छ नहीं है

हम किसी की भी 'जय' बोल सकते हैं

हम किसी को भी धोखे में डाल सकते हैं


(रचनाकाल : 1975)